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 आज का संपादकीय: UPSC, BPSC और अन्य परीक्षाओं के लिए उपयोगी



भारतीय उच्च शिक्षा में परिवर्तन: NEP 2020 और लचीलेपन व सुधार की दिशा में कदम


परिचय:

भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली को लंबे समय से इसकी कठोरता, परीक्षा-केंद्रित दृष्टिकोण और उपनिवेशकालीन मॉडल पर निर्भरता के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 एक परिवर्तनकारी दृष्टि प्रस्तुत करती है, जिसका उद्देश्य एक लचीला, समग्र और बहुविषयक शिक्षण वातावरण तैयार करना है, जो आधुनिक वैश्विक शैक्षणिक मानकों के अनुरूप हो।


पृष्ठभूमि:

NEP 2020 का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को उपनिवेशवाद से मुक्त कर महत्वपूर्ण सोच, अनुकूलनशीलता और अंतःविषयक (interdisciplinary) शिक्षण को बढ़ावा देना है। इस नीति के तहत एक प्रमुख सुधार राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF) है, जो छात्रों को शैक्षणिक, व्यावसायिक और कौशल-आधारित कार्यक्रमों में अर्जित क्रेडिट को संग्रहित और स्थानांतरित करने की अनुमति देता है, जिससे शिक्षा अधिक एकीकृत और लचीली बनती है।


इतिहास में, भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) ने प्रायः सैद्धांतिक ज्ञान को प्राथमिकता दी है, जिससे स्नातकों में व्यावहारिक कौशल की कमी देखी गई है। अब दक्षता-आधारित शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया जा रहा है ताकि रोजगार के अवसरों को बेहतर बनाया जा सके।


वर्तमान घटनाक्रम:

NEP 2020 और NCrF का उद्देश्य एक गतिशील, छात्र-केंद्रित शिक्षा मॉडल बनाना है, जिसमें अनुसंधान, खेल, इंटर्नशिप और सामुदायिक सेवा को शैक्षणिक क्रेडिट में शामिल किया गया है। हालांकि ये सुधार प्रगतिशील हैं, फिर भी कुछ शिक्षाविदों और बौद्धिक वर्गों में इन्हें लेकर संदेह है क्योंकि वे पारंपरिक रटने वाली शिक्षा प्रणाली के पक्षधर हैं।


सरकारी पहल:


अटल टिंकरिंग लैब्स, व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) के तहत परियोजनाएं कौशल-आधारित और अनुभवात्मक शिक्षा को बढ़ावा देती हैं।


शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा संस्थानों से NEP 2020 के सिद्धांतों को अपनाने का आग्रह किया है ताकि शिक्षा प्रणाली उद्योग की आवश्यकताओं और वैश्विक मानकों के अनुरूप हो सके।



वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएं:


जर्मनी: व्यावसायिक शिक्षा प्रणाली औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक कौशल के विकास को जोड़ती है।


अमेरिका: क्रेडिट ट्रांसफर सिस्टम छात्रों को उनकी रुचि और करियर के अनुसार पाठ्यक्रम चुनने की लचीलापन देता है।


फिनलैंड: महत्वपूर्ण सोच, अंतःविषयक शिक्षण और छात्र स्वायत्तता पर जोर NEP 2020 के दृष्टिकोण से मेल खाता है।



कार्यान्वयन में चुनौतियां:


1. परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध: कई पारंपरिक संस्थान और शिक्षक रटने वाली पद्धति को छोड़ने में हिचकिचाते हैं।



2. बुनियादी ढांचा: डिजिटल टूल्स, प्रयोगशालाओं और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की आवश्यकता है।



3. शिक्षकों का प्रशिक्षण: बहुविषयक शिक्षण और व्यावहारिक कौशल विकास के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण देना आवश्यक है।



4. मूल्यांकन प्रणाली: इंटर्नशिप और व्यावसायिक कौशल के निष्पक्ष और मानकीकृत मूल्यांकन की जटिलता।



5. सामाजिक समावेशिता: वंचित समुदायों और पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों के लिए इन सुधारों की पहुँच सुनिश्चित करना।




आगे का मार्ग:


संस्थागत क्षमता का विस्तार: लचीली और बहुविषयक शिक्षा को समर्थन देने के लिए बुनियादी ढांचे और शिक्षकों के प्रशिक्षण में निवेश।


जन जागरूकता: NEP 2020 के दीर्घकालिक लाभों को उजागर करने के लिए जागरूकता अभियान।


उद्योग-अकादमिक सहयोग: पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता बनाए रखने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए उद्योगों के साथ मजबूत भागीदारी।


समावेशिता सुनिश्चित करना: वंचित छात्रों के लिए विशेष पहल, ताकि शिक्षा और रोजगार में समान अवसर मिल सकें।


निरंतर अनुकूलन और निगरानी: तकनीकी और श्रम बाजार की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम को लगातार अपडेट करना।



निष्कर्ष:

NEP 2020 और राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF) भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक परिवर्तनकारी बदलाव का संकेत देते हैं। यह लचीलापन, समावेशिता और अनुकूलनशीलता को अपनाकर छात्रों को 21वीं सदी के कौशल से सुसज्जित करने में मदद करेगा। इससे भारत को एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी कार्यबल और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में सहायता मिलेगी।


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